 
                
             
            
            
                इस कहानी पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दें  
à¤à¤• गिलहरी रोज अपने काम पर समय 
से आती थी और अपना काम 
पूरà¥à¤£ मेहनत 
तथा ईमानदारी से करती थी !
गिलहरी जरà¥à¤°à¤¤ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ काम कर के 
à¤à¥€ खूब खà¥à¤¶ थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ कि उसके मालिक .......
जंगल के राजा शेर नें उसे दस बोरी अखरोट 
देने का वादा कर रकà¥à¤–ा था !
गिलहरी काम करते करते थक जाती थी 
तो सोचती थी कि थोडी आराम कर लूठ....
वैसे ही उसे याद आता था :- कि शेर उसे 
दस बोरी अखरोट देगा - गिलहरी फिर 
काम पर लग जाती !
गिलहरी जब दूसरे गिलहरीयों को खेलते - 
कà¥à¤¦à¤¤à¥‡  देखती थी तो उसकी à¤à¥€ ईचà¥à¤›à¤¾ होती 
थी कि मैं à¤à¥€ enjoy करूठ!
पर उसे अखरोट याद आ जाता था !
और वो फिर काम पर लग जाती !
शेर कà¤à¥€ - कà¤à¥€ उसे दूसरे शेर के पास 
à¤à¥€ काम करने के लिये à¤à¥‡à¤œ देता था !
à¤à¤¸à¤¾ नहीं कि शेर उसे अखरोट नहीं देना 
चाहता था , शेर बहà¥à¤¤ ईमानदार था !
à¤à¤¸à¥‡ ही समय बीतता रहा....
à¤à¤• दिन à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ आया जब जंगल के 
राजा शेर ने गिलहरी को दस बोरी अखरोट 
दे कर आजाद कर दिया !
गिलहरी अखरोट के पास बैठ कर सोचने 
लगी कि:-अब अखरोट हमारे किस काम के ?
पà¥à¤°à¥€ जिनà¥à¤¦à¤—ी काम करते - करते दाà¤à¤¤ तो घिस 
गये, इसे खाऊà¤à¤—ी कैसे !
दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ यह कहानी आज जीवन की हकीकत 
बन चà¥à¤•ी है !
इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ अपनी ईचà¥à¤›à¤¾à¤“ं का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करता है, 
और पà¥à¤°à¥€ जिनà¥à¤¦à¤—ी नौकरी में बिता देता है !
60 वरà¥à¤· की ऊमà¥à¤° जब वो रिटायरà¥à¤¡ होता है 
तो उसे उसका फनà¥à¤¡ मिलता है !
तब तक जनरेसन बदल चà¥à¤•ी होती है, परिवार 
को चलाने वाला मà¥à¤–िया बदल जाता है ।
कà¥à¤¯à¤¾ नये मà¥à¤–िया को इस बात का अनà¥à¤¦à¤¾à¤œà¤¾ 
लग पयेगा की इस फनà¥à¤¡ के लिये : -
कितनी इचà¥à¤›à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ मरी होगी ?
कितनी तकलीफें मिलि होगी ?
कितनें सपनें रहे होंगे ?
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - 
दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ कà¥à¤¯à¤¾ फायदा à¤à¤¸à¥‡ फनà¥à¤¡ का जिसे 
पाने के लिये पूरी जिनà¥à¤¦à¤—ी लगाई जाय 
और उसका इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² खà¥à¤¦ न कर सके !
"इस धरती पर कोई à¤à¤¸à¤¾ आमीर अà¤à¥€ 
तक पैदा नहीं हà¥à¤† जो बिते हà¥à¤ समय 
को खरीद सके ।